मूल नक्षत्र की विशेषताएँ
- नाम का अर्थ: जड़ या मूलभूत आधार।
- स्वामी ग्रह: केतु
- चिह्न: जड़ों का गुच्छा
- देवता: निरृति (विनाश और परिवर्तन की देवी)
- राशि स्वामी: बृहस्पति
- गुण: तमसिक
- जाति: राक्षस
- शक्ति: विनाश और पुनर्निर्माण की शक्ति
मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों के गुण
- गहन विचारक और सत्य खोजने वाले
- निडर और स्वतंत्र विचारधारा वाले
- गुप्त रहस्यों को जानने की इच्छा
- जिद्दी और दृढ़ निश्चयी
- विनाश और पुनर्निर्माण की क्षमता
मूल नक्षत्र के चार चरण और उनके प्रभाव
- पहला चरण: बुद्धिमान, तीव्र विचारधारा वाले।
- दूसरा चरण: आध्यात्मिक और गूढ़ ज्ञान में रुचि रखने वाले।
- तीसरा चरण: नेतृत्व क्षमता और क्रांतिकारी सोच वाले।
- चौथा चरण: साहसी, निडर, और परिवर्तनशील।
मूल नक्षत्र से संबंधित करियर और व्यवसाय
- ज्योतिष, तंत्र-मंत्र और गूढ़ विद्या
- शोधकर्ता, वैज्ञानिक और दार्शनिक
- राजनीतिज्ञ, सामाजिक क्रांतिकारी
- आध्यात्मिक गुरु, योगी और ध्यान साधक
- पत्रकार, लेखक और मनोवैज्ञानिक
मूल नक्षत्र के शुभ और अशुभ पहलू
- शुभ कार्यों के लिए उत्तम: अनुसंधान, आध्यात्मिकता, पुनर्निर्माण कार्य।
- अशुभ कार्यों के लिए: अत्यधिक कट्टरता और जिद से बचें।
मूल नक्षत्र के लिए उपाय
- भगवान शिव और केतु ग्रह की उपासना करें।
- नारियल और तिल का दान करें।
- ॐ केतवे नमः मंत्र का जाप करें।
- संतों और जरूरतमंदों की सेवा करें।
निष्कर्ष
मूल नक्षत्र के जातक गहन विचारक, सत्य खोजने वाले और परिवर्तनशील होते हैं। ये अपने जीवन में कई बार बड़े बदलावों का सामना करते हैं और हर बार खुद को नए तरीके से स्थापित करने की क्षमता रखते हैं।