कन्या राशि के जातकों के गुण और स्वभाव

1. रोहिणी नक्षत्र का परिचय

रोहिणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से चौथा नक्षत्र है। यह नक्षत्र वृषभ राशि में स्थित होता है और इसका स्वामी ग्रह चंद्रमा है। इसे अत्यंत शुभ एवं समृद्धि प्रदान करने वाला नक्षत्र माना जाता है।

2. रोहिणी नक्षत्र का खगोलीय विवरण

  • नक्षत्र मंडल: वृषभ राशि के 10°00' से 23°20' अंश तक विस्तृत
  • स्वामी ग्रह: चंद्रमा
  • चिह्न: बैल का रथ
  • देवता: ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता)
  • गुण: राजसिक
  • श्रेणी: स्थिर नक्षत्र

3. रोहिणी नक्षत्र का प्रतीक एवं महत्व

रोहिणी नक्षत्र का प्रतीक एक रथ या गाय माना जाता है, जो समृद्धि, पोषण, और ऐश्वर्य का द्योतक है। यह नक्षत्र कृषि, कला, सौंदर्य, प्रेम, और रचनात्मकता से जुड़ा हुआ है।

4. रोहिणी नक्षत्र के चार चरण (पाद)

चरण

नक्षत्र स्थिति

गरह

बीजाक्षर

पहला चरण 10°00' - 13°20' वृषभ मंगल
दूसरा चरण 13°20' - 16°40' वृषभ शुक्र वा
तीसरा चरण 16°40' - 20°00' वृषभ बुध वी
चौथा चरण 20°00' - 23°20' वृषभ चंद्रमा वू

5. रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव

(A) जातकों पर प्रभाव

  • सौंदर्य प्रेमी और आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं।
  • अत्यंत रचनात्मक और कलात्मक गुणों से संपन्न होते हैं।
  • व्यापार और वित्तीय मामलों में कुशल होते हैं।
  • धैर्यवान, मेहनती और लगनशील होते हैं।
  • कभी-कभी अहंकारी और भौतिक सुखों के प्रति अधिक आकर्षित हो सकते हैं।

(B) करियर और व्यवसाय

  • फैशन और सौंदर्य उद्योग
  • कृषि एवं खाद्य उद्योग
  • बैंकिंग और वित्त
  • कला, संगीत और सिनेमा
  • चिकित्सा क्षेत्र

(C) स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव

गले, गले की ग्रंथियों, थायरॉइड, आंखों और हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं।

6. रोहिणी नक्षत्र के उपाय

  • मंगलवार या चंद्र ग्रहण के दिन चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जाप करें।
  • चंद्रमा और शुक्र को प्रसन्न करने के लिए श्वेत वस्त्र, सफेद फूल, दूध और चावल का दान करें।
  • ‘ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • शिवलिंग पर जल अर्पित करें और भगवान शिव की आराधना करें।

7. रोहिणी नक्षत्र में शुभ कार्य

विवाह, गृह निर्माण, व्यापार आरंभ, वाहन खरीदने, कृषि कार्य, शिक्षा और संतान जन्म के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

8. रोहिणी नक्षत्र से जुड़ी पौराणिक कथा

रोहिणी चंद्रमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्नी थीं। उनकी सुंदरता और आकर्षण के कारण चंद्रमा केवल रोहिणी के पास ही रहने लगे, जिससे अन्य पत्नियाँ (नक्षत्र) नाराज हो गईं। इस पर दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को श्राप दिया, जिससे उनकी चमक मंद पड़ गई। बाद में भगवान शिव की कृपा से चंद्रमा को यह श्राप आंशिक रूप से समाप्त हुआ, और वे कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में बढ़ने-घटने लगे।

निष्कर्ष

रोहिणी नक्षत्र अत्यंत शुभ, रचनात्मक, समृद्धिशाली और प्रभावशाली नक्षत्र माना जाता है। इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में ऐश्वर्य, सुख, प्रेम और सफलता लाता है।