रोहिणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से चौथा नक्षत्र है। यह नक्षत्र वृषभ राशि में स्थित होता है और इसका स्वामी ग्रह चंद्रमा है। इसे अत्यंत शुभ एवं समृद्धि प्रदान करने वाला नक्षत्र माना जाता है।
रोहिणी नक्षत्र का प्रतीक एक रथ या गाय माना जाता है, जो समृद्धि, पोषण, और ऐश्वर्य का द्योतक है। यह नक्षत्र कृषि, कला, सौंदर्य, प्रेम, और रचनात्मकता से जुड़ा हुआ है।
चरण |
नक्षत्र स्थिति |
गरह |
बीजाक्षर |
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पहला चरण | 10°00' - 13°20' वृषभ | मंगल | ओ |
दूसरा चरण | 13°20' - 16°40' वृषभ | शुक्र | वा |
तीसरा चरण | 16°40' - 20°00' वृषभ | बुध | वी |
चौथा चरण | 20°00' - 23°20' वृषभ | चंद्रमा | वू |
गले, गले की ग्रंथियों, थायरॉइड, आंखों और हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं।
विवाह, गृह निर्माण, व्यापार आरंभ, वाहन खरीदने, कृषि कार्य, शिक्षा और संतान जन्म के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
रोहिणी चंद्रमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्नी थीं। उनकी सुंदरता और आकर्षण के कारण चंद्रमा केवल रोहिणी के पास ही रहने लगे, जिससे अन्य पत्नियाँ (नक्षत्र) नाराज हो गईं। इस पर दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को श्राप दिया, जिससे उनकी चमक मंद पड़ गई। बाद में भगवान शिव की कृपा से चंद्रमा को यह श्राप आंशिक रूप से समाप्त हुआ, और वे कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में बढ़ने-घटने लगे।
रोहिणी नक्षत्र अत्यंत शुभ, रचनात्मक, समृद्धिशाली और प्रभावशाली नक्षत्र माना जाता है। इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में ऐश्वर्य, सुख, प्रेम और सफलता लाता है।