शतभिषा नक्षत्र की विशेषताएँ
- नाम का अर्थ: "सौ चिकित्सक" या "सौ तारे"
- स्वामी ग्रह: राहु
- चिह्न: वृत्त या सौ तारे
- देवता: वरुण (सागर के देवता)
- राशि स्वामी: शनि
- गुण: तामसिक
- जाति: राक्षस
- शक्ति: रोगों को ठीक करने की शक्ति
शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों के गुण
- रहस्य और गूढ़ विद्या में रुचि
- स्वतंत्र विचारधारा
- विज्ञान और चिकित्सा में रुचि
- आध्यात्मिक झुकाव
- एकांतप्रिय
शतभिषा नक्षत्र के चार चरण और उनके प्रभाव
- पहला चरण: शोधकर्ता, वैज्ञानिक सोच और नवाचार में रुचि।
- दूसरा चरण: आध्यात्मिकता, चिकित्सा और रहस्यवाद में रुचि।
- तीसरा चरण: स्वतंत्रता पसंद, सामाजिक कार्यों में भागीदारी।
- चौथा चरण: चिकित्सा, आयुर्वेद और ज्योतिष में निपुणता।
शतभिषा नक्षत्र से संबंधित करियर और व्यवसाय
- डॉक्टर, वैज्ञानिक और शोधकर्ता
- ज्योतिष, आयुर्वेद और तंत्र-मंत्र
- समुद्र और जल से जुड़े व्यवसाय
- योग गुरु, ध्यान प्रशिक्षक और आध्यात्मिक सलाहकार
- तकनीकी और आईटी क्षेत्र
शतभिषा नक्षत्र के शुभ और अशुभ पहलू
- शुभ कार्यों के लिए उत्तम: चिकित्सा, शोध, ध्यान और आध्यात्मिकता से जुड़े कार्य।
- अशुभ प्रभाव: कभी-कभी अकेलापन, जिद्दी स्वभाव और अति गोपनीयता के कारण नुकसान।
शतभिषा नक्षत्र के लिए उपाय
- भगवान वरुण की उपासना करें।
- राहु मंत्र "ॐ रां राहवे नमः" का जाप करें।
- नीले और काले रंग के वस्त्र पहनें।
- शनिवार को दान करें और जरूरतमंदों की सेवा करें।
निष्कर्ष
शतभिषा नक्षत्र के जातक रहस्यवादी, चिकित्सक और स्वतंत्र विचारों वाले होते हैं। इनका झुकाव विज्ञान, शोध और चिकित्सा की ओर होता है।