स्वाति नक्षत्र का विस्तृत विवरण

स्वाति नक्षत्र 27 नक्षत्रों में पंद्रहवां नक्षत्र है और यह तुला राशि (6°40' – 20°00') में स्थित होता है। इसका स्वामी ग्रह राहु है और इसका प्रतीक हवा में बहने वाली अकेली घास की नोक होती है, जो स्वतंत्रता, चंचलता और ज्ञान का प्रतीक है।

स्वाति नक्षत्र की विशेषताएँ

  • नाम का अर्थ: शुद्ध या स्वतंत्र।
  • स्वामी ग्रह: राहु
  • चिह्न: हवा में बहती घास
  • देवता: वायु देवता
  • राशि स्वामी: तुला
  • गुण: तामसिक
  • जाति: देव
  • शक्ति: स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की शक्ति

स्वाति नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों के गुण

  • स्वतंत्र और आत्मनिर्भर स्वभाव
  • बुद्धिमान और सीखने की इच्छा रखने वाले
  • मधुर वाणी और अच्छे वक्ता
  • व्यावसायिक और चतुर
  • आध्यात्मिक झुकाव

स्वाति नक्षत्र के चार चरण और उनके प्रभाव

  • पहला चरण: आत्मनिर्भर और उत्साही।
  • दूसरा चरण: कला और संगीत में रुचि।
  • तीसरा चरण: नेतृत्व और व्यापार में निपुण।
  • चौथा चरण: साहसी और स्वतंत्र विचारधारा वाले।

स्वाति नक्षत्र से संबंधित करियर और व्यवसाय

  • व्यापार और स्टार्टअप
  • मार्केटिंग और सेल्स
  • यात्रा और पर्यटन उद्योग
  • लेखन और संचार क्षेत्र
  • ज्योतिष और आध्यात्मिक क्षेत्र

स्वाति नक्षत्र के शुभ और अशुभ पहलू

  • शुभ कार्यों के लिए उत्तम: स्वतंत्र व्यापार, यात्रा, शिक्षा और कला।
  • अशुभ कार्यों के लिए: अधीरता और अत्यधिक स्वार्थ से बचें।

स्वाति नक्षत्र के लिए उपाय

  • वायु देवता की उपासना करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • नीला रंग पहनें और गोमेद रत्न धारण करें।
  • ॐ वायवे नमः मंत्र का जाप करें।
  • पक्षियों को दाना डालें और दान-पुण्य करें।

निष्कर्ष

स्वाति नक्षत्र के जातक स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और बुद्धिमान होते हैं। ये व्यापार और यात्रा में सफल होते हैं और समाज में अपनी अलग पहचान बनाते हैं।