उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का विस्तृत विवरण

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र 27 नक्षत्रों में इक्कीसवाँ नक्षत्र है और यह धनु राशि (26°40') से मकर राशि (10°00') तक फैला हुआ है। इसका स्वामी ग्रह सूर्य है और इसका प्रतीक हाथी का दाँत होता है, जो शक्ति, स्थिरता और नेतृत्व क्षमता का प्रतीक है।

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की विशेषताएँ

  • नाम का अर्थ: अंतिम अपराजेय
  • स्वामी ग्रह: सूर्य
  • चिह्न: हाथी का दाँत
  • देवता: विश्वदेव (सर्वोत्तम गुणों के प्रतीक)
  • राशि स्वामी: बृहस्पति और शनि
  • गुण: सात्त्विक
  • जाति: क्षत्रिय
  • शक्ति: अभय देने की शक्ति

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों के गुण

  • संयमी और धैर्यवान
  • ईमानदार और न्यायप्रिय
  • नेतृत्व क्षमता
  • परिश्रमी और कर्मठ
  • आध्यात्मिक प्रवृत्ति

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के चार चरण और उनके प्रभाव

  • पहला चरण: बुद्धिमान, शिक्षाविद और उच्च विचारधारा वाले।
  • दूसरा चरण: मजबूत निर्णय लेने वाले और कर्मशील।
  • तीसरा चरण: आत्मनिर्भर और कुशल योजनाकार।
  • चौथा चरण: व्यावहारिक, मेहनती और अनुशासित।

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से संबंधित करियर और व्यवसाय

  • प्रशासन, सेना और पुलिस सेवा
  • राजनीति, सरकारी पदों और न्यायपालिका में कार्य
  • शिक्षा, अध्यात्म और परामर्शदाता
  • चिकित्सा, आयुर्वेद और योग
  • उद्योग, निर्माण और वास्तु

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के शुभ और अशुभ पहलू

  • शुभ कार्यों के लिए उत्तम: नेतृत्व, प्रशासन, आध्यात्मिक और परोपकार के कार्य।
  • अशुभ प्रभाव: कभी-कभी अधिक कठोर और आत्म-केंद्रित हो सकते हैं।

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के लिए उपाय

  • भगवान सूर्य और विश्वदेव की उपासना करें।
  • सूर्य मंत्र का जाप करें।
  • गुलाबी और केसरिया वस्त्र धारण करें।
  • सूर्य को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।

निष्कर्ष

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के जातक कर्मठ, सत्यवादी और परिश्रमी होते हैं। इनकी नेतृत्व क्षमता और न्यायप्रियता इन्हें समाज में एक विशेष स्थान दिलाती है।