पाहलव देवता का विवरण

पाहलव वास्तु देवता 45 वास्तु देवताओं में से एक हैं, जो घर और भवन निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनका स्थान पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम (पश्चिम-नैऋत्य) दिशा में होता है। यह देवता सुरक्षा, शक्ति, और स्थिरता का प्रतीक माने जाते हैं।

परिचय

पाहलव देवता का स्वरूप

  • दिशा: पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम (WSW)
  • तत्व: पृथ्वी और वायु
  • स्वामी ग्रह: राहु
  • गुण: शक्ति, सुरक्षा, संतुलन

वास्तु शास्त्र में पाहलव देवता का महत्व

पाहलव देवता की दिशा सुरक्षा और ताकत से जुड़ी होती है। यदि यह दिशा वास्तु के अनुसार सही हो, तो यह स्थिरता, सफलता और शक्ति प्रदान करती है।

✅ शुभ प्रभाव

  • घर और परिवार की सुरक्षा बनी रहती है।
  • व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सफलता मिलती है।
  • साहस, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है।

❌ अशुभ प्रभाव (वास्तु दोष होने पर)

  • अचानक दुर्घटनाएँ और समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
  • स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • आर्थिक अस्थिरता और कलह की संभावना बढ़ जाती है।

पाहलव देवता की पूजा और वास्तु उपाय

  • पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम दिशा को हमेशा स्वच्छ और व्यवस्थित रखें।
  • राहु ग्रह से संबंधित उपाय करें, जैसे "ॐ रां राहवे नमः" मंत्र का जाप।
  • इस दिशा में भारी वस्तुओं का स्थान सुनिश्चित करें।
  • रक्षा और सुरक्षा हेतु हनुमान जी की उपासना करें।

निष्कर्ष

पाहलव देवता सुरक्षा और स्थिरता के प्रतीक हैं। यदि इस दिशा का ध्यान वास्तु के अनुसार रखा जाए, तो यह घर और जीवन में सकारात्मकता और सफलता लाता है।

"पाहलव देवता की कृपा से जीवन में शक्ति, सुरक्षा और सफलता बनी रहती है।"