आपवत्स वास्तु देवता - विस्तृत विवरण

आपवत्स देवता वास्तु शास्त्र के अनुसार जल तत्व का प्रतीक माने जाते हैं। यह देवता पानी के स्रोतों, नदियों, कुओं और अन्य जल स्रोतों से संबंधित होते हैं। इनकी कृपा से जीवन में शुद्धता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

परिचय

आपवत्स देवता का स्वरूप

  • दिशा: पूर्व दिशा
  • तत्व: जल तत्व
  • प्रभाव: शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य और सकारात्मकता।
  • ऊर्जा: शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा।
  • संकेत: जल स्रोत, शांति और स्वच्छता।

आपवत्स देवता की पूजा और उपाय

  • पूर्व दिशा को हमेशा स्वच्छ और सुव्यवस्थित रखें।
  • जल स्रोतों को पवित्र और साफ रखें।
  • घर में जल के स्रोत जैसे फव्वारा या मछलीघर रखना शुभ होता है।
  • भगवान वरुण की उपासना करें और जल की पवित्रता को बनाए रखें।
  • "ॐ वं वरुणाय नमः" मंत्र का नियमित जाप करें।

आपवत्स देवता के वास्तु दोष और निवारण

  • यदि पूर्व दिशा में गंदगी या अव्यवस्थितता है तो इससे मानसिक तनाव और आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • इस दिशा में रसोई या अग्नि तत्व का होना शुभ नहीं माना जाता।
  • इस दिशा में कोई भारी वस्तु या कचरा न रखें।

निष्कर्ष

आपवत्स देवता जल तत्व के प्रतिनिधि माने जाते हैं। इनकी कृपा से घर में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है। वास्तु के अनुसार उचित उपाय और पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता और उन्नति प्राप्त होती है।

"आपवत्स देवता की कृपा से जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।"