ज्योतिष सीखने की विस्तृत गाइड (Learn Jyotish)

1. ज्योतिष क्या है?

ज्योतिष (Astrology) एक प्राचीन विज्ञान है, जिसमें ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों के आधार पर जीवन की घटनाओं का अध्ययन किया जाता है। यह वेदों के छह अंगों (वेदांग) में से एक है और इसे "ज्योतिष शास्त्र" कहा जाता है।

2. ज्योतिष के प्रमुख अंग

ज्योतिष को मुख्य रूप से तीन भागों में बाँटा जाता है:

  • गणित ज्योतिष (Mathematical Astrology) – ग्रहों की स्थिति और समय की गणना
  • फलित ज्योतिष (Predictive Astrology) – ग्रहों का प्रभाव और भविष्यवाणी
  • मुहूर्त ज्योतिष (Muhurta Astrology) – शुभ समय निर्धारण

3. ज्योतिष के प्रमुख घटक

(i) नवग्रह (Nine Planets)

  • सूर्य – आत्मा, पिता, ऊर्जा
  • चंद्रमा – मन, माता, भावनाएँ
  • मंगल – साहस, ऊर्जा, क्रोध
  • बुध – बुद्धि, संचार, व्यापार
  • गुरु (बृहस्पति) – ज्ञान, धर्म, धन
  • शुक्र – प्रेम, सौंदर्य, भोग
  • शनि – कर्म, न्याय, देरी
  • राहु – छल, भ्रम, अचानक परिवर्तन
  • केतु – मोक्ष, रहस्य, आत्मज्ञान

(ii) बारह राशियाँ (Zodiac Signs)

  • मेष (Aries) – उग्र, साहसी
  • वृषभ (Taurus) – स्थिर, धैर्यशील
  • मिथुन (Gemini) – बुद्धिमान, चंचल
  • कर्क (Cancer) – भावुक, संवेदनशील
  • सिंह (Leo) – गर्वीला, नेतृत्व क्षमता
  • कन्या (Virgo) – विश्लेषणात्मक, व्यावहारिक
  • तुला (Libra) – संतुलित, कूटनीतिक
  • वृश्चिक (Scorpio) – गूढ़, रहस्यमयी
  • धनु (Sagittarius) – आशावादी, साहसी
  • मकर (Capricorn) – अनुशासित, मेहनती
  • कुंभ (Aquarius) – नवीन विचारधारा, स्वतंत्र
  • मीन (Pisces) – कल्पनाशील, आध्यात्मिक

(iii) बारह भाव (Houses in Horoscope)

  • प्रथम भाव – लग्न, व्यक्तित्व
  • द्वितीय भाव – धन, वाणी
  • तृतीय भाव – भाई-बहन, पराक्रम
  • चतुर्थ भाव – माता, सुख
  • पंचम भाव – बुद्धि, संतान
  • षष्ठ भाव – रोग, शत्रु
  • सप्तम भाव – विवाह, साझेदारी
  • अष्टम भाव – मृत्यु, रहस्य
  • नवम भाव – भाग्य, धर्म
  • दशम भाव – कर्म, पेशा
  • एकादश भाव – लाभ, मित्र
  • द्वादश भाव – व्यय, मोक्ष

4. कुंडली (Horoscope) बनाना और पढ़ना

कुंडली बनाने के लिए जन्म तिथि, समय और स्थान की आवश्यकता होती है। कुंडली का निर्माण पंचांग और ग्रहों की स्थिति के आधार पर किया जाता है।

5. ज्योतिष में महादशाएँ और गोचर

  • महादशा – किसी ग्रह की दीर्घकालिक प्रभाव देने वाली अवधि
  • अंतरदशा – महादशा के अंदर छोटी अवधि
  • गोचर (Transit) – ग्रहों की वर्तमान स्थिति का प्रभाव

6. ज्योतिष में उपाय

  • ग्रहों की शांति के लिए मंत्र, दान और रत्न धारण
  • ध्यान, योग और पूजा से नकारात्मक प्रभाव कम करना
  • वास्तु और अंक ज्योतिष का सहारा लेना
  • निष्कर्ष
  • ज्योतिष विज्ञान अभ्यास और अनुभव से निखरता है। यदि इसे सही ढंग से सीखा जाए, तो यह एक उपयोगी मार्गदर्शक सिद्ध हो सकता है।
  • आप ज्योतिष सीखना शुरू करना चाहते हैं तो किस विषय पर अधिक जानना चाहते हैं?

उन्नत ज्योतिष (Advanced Astrology) – गहन अध्ययन

ज्योतिष एक विस्तृत और गूढ़ शास्त्र है, जिसमें गणितीय गणना, ग्रहों के प्रभाव, दशाएँ, गोचर, विभिन्न योग, और विभाजन कुंडलियाँ (Divisional Charts) शामिल हैं। यदि आप पहले से ज्योतिष का मूल ज्ञान रखते हैं, तो यह गाइड आपको गहराई से अध्ययन करने में मदद करेगी।

1️⃣ उन्नत ग्रहीय सिद्धांत (Advanced Planetary Concepts)

(i) ग्रहों की स्थति और बल (Planetary Strength & Placement)

उच्च (Exalted) और नीच (Debilitated) ग्रह

  • सूर्य – उच्च: मेष ♈ (10°), नीच: तुला ♎ (10°)
  • चंद्र – उच्च: वृष ♉ (3°), नीच: वृश्चिक ♏ (3°)
  • मंगल – उच्च: मकर ♑ (28°), नीच: कर्क ♋ (28°)
  • बुध – उच्च: कन्या ♍ (15°), नीच: मीन ♓ (15°)
  • गुरु – उच्च: कर्क ♋ (5°), नीच: मकर ♑ (5°)
  • शुक्र – उच्च: मीन ♓ (27°), नीच: कन्या ♍ (27°)
  • शनि – उच्च: तुला ♎ (20°), नीच: मेष ♈ (20°)

ग्रहों के बल (Shadbala Analysis)

  • स्थानी बल (Sthana Bala) – उच्च-नीच स्थिति
  • दिग्बल (Directional Strength) – ग्रहों की दिशा के अनुसार बल
  • काल बल (Temporal Strength) – ग्रहों की दशाएँ
  • चेष्टा बल (Motion Strength) – ग्रहों की गति
  • नैसर्गिक बल (Intrinsic Strength) – ग्रहों की स्वाभाविक शक्ति
  • दृष्टि बल (Aspect Strength) – अन्य ग्रहों की दृष्टि से प्रभाव

2️⃣ विभाजन कुंडलियाँ (Divisional Charts - Vargas)

वर्ग कुंडलियाँ एक ही जन्म कुंडली के अंदर विशेष क्षेत्रों का विस्तृत अध्ययन करने के लिए बनाई जाती हैं।

वर्ग कुंडली (Chart) महत्व

D-1 (राशि कुंडली)

मुख्य कुंडली, संपूर्ण जीवन
D-2 (होरा कुंडली) धन और वित्तीय स्थिति
D-3 (द्रेष्काण कुंडली) भाई-बहन और पराक्रम
D-4 (चतुर्थांश कुंडली) संपत्ति, घर, सुख-सुविधाएँ
D-7 (सप्तांश कुंडली) संतान और संतान सुख
D-9 (नवांश कुंडली) वैवाहिक जीवन और आत्मा का विकास
D-10 (दशांश कुंडली) करियर और पेशेवर जीवन
D-12 (द्वादशांश कुंडली) माता-पिता और पूर्वज
D-16 (षोडशांश कुंडली) वाहन सुख और भौतिक सुख-सुविधाएँ
D-20 (विंशांश कुंडली) आध्यात्मिकता और साधना
D-24 (चतुर्विंशांश कुंडली) शिक्षा और विद्या
D-27 (भांम्ष कुंडली) शक्ति और संघर्ष क्षमता
D-30 (त्रिंशांश कुंडली) दुष्कर्म और पाप
D-40 (खवेदांश कुंडली) शुभ और अशुभ कर्म
D-45 (अक्षवेदांश कुंडली) मानसिक शक्ति
D-60 (षष्ठयांश कुंडली) संपूर्ण भाग्य और पिछले जन्म के कर्म

📌 टिप: बिना D-9 नवांश कुंडली का विश्लेषण किए, कोई भी कुंडली पूर्ण रूप से नहीं समझी जा सकती।

3️⃣ ग्रहों की दशाएँ और गोचर (Planetary Dashas & Transits)

(i) महादशा (Vimshottari Dasha System)

विमशोत्तरी दशा प्रणाली 120 वर्षों की होती है, जिसमें हर ग्रह की एक निश्चित अवधि होती है:

  • सूर्य – 6 वर्ष
  • चंद्र – 10 वर्ष
  • मंगल – 7 वर्ष
  • राहु – 18 वर्ष
  • गुरु – 16 वर्ष
  • शनि – 19 वर्ष
  • बुद्ध – 17 वर्ष
  • केतु – 7 वर्ष
  • शुक्र – 20 वर्ष

🌟 टिप: प्रत्येक महादशा के अंदर अंतरदशा और प्रत्यंतर दशा का प्रभाव भी महत्वपूर्ण होता है।

7. सीढ़ियों के वास्तु दोष निवारण

समस्या: गलत दिशा में सीढ़ियाँ होने से धन हानि और मानसिक तनाव बढ़ता है।

उपाय:

  • ✔ सीढ़ियाँ दक्षिण या पश्चिम में होनी चाहिए, यदि ऐसा न हो तो वहाँ पीले रंग का बल्ब जलाएँ।
  • ✔ सीढ़ियों के नीचे गौमूत्र का छिड़काव करें और तुलसी का पौधा रखें।
  • ✔ हर सीढ़ी पर गुलाबी, लाल या पीले रंग की पट्टियाँ लगाएँ।

(ii) गोचर (Transit Analysis)

  • शनि गोचर (साढ़ेसाती, ढैय्या)
  • गुरु गोचर (भाग्य वृद्धि, विवाह और संतान के लिए महत्वपूर्ण)
  • राहु-केतु गोचर (अनपेक्षित बदलाव, मानसिक प्रभाव)
  • सूर्य और मंगल गोचर (ऊर्जा, आत्मविश्वास, करियर में उतार-चढ़ाव)

4️⃣ विशेष योग (Special Yogas in Astrology)

(i) राजयोग (Royal Combinations)

  • गजकेसरी योग – चंद्रमा और गुरु केंद्र में हों, तो व्यक्ति महान होता है।
  • पंच महापुरुष योग – मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, और शनि अपने उच्च या स्वगृही होकर केंद्र में हों।
  • धन योग – द्वितीय या ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रह हों।
  • राज लक्ष्मी योग – नवम और दशम भाव में शुभ ग्रहों की स्थिति।

(ii) अशुभ योग (Malefic Combinations)

  • कालसर्प योग – जब सभी ग्रह राहु-केतु के बीच आ जाएँ।
  • ग्रहण योग – सूर्य या चंद्रमा पर राहु-केतु का प्रभाव।
  • पितृ दोष – नवम भाव में अशुभ ग्रहों की स्थिति।

5️⃣ प्रोग्रेसिव ज्योतिष (Progressive Astrology - KP System & Jaimini Astrology)

(i) केपी ज्योतिष (Krishnamurti Paddhati - KP Astrology)

  • यह नक्षत्रों के आधार पर भविष्यवाणी करने की सरल और सटीक विधि है।
  • हाउस-कुस्प (House Cusps) और उपनक्षत्र (Sub-Lords) का उपयोग किया जाता है।
  • प्रश्न ज्योतिष (Horary Astrology) में विशेष रूप से उपयोगी।

(ii) जैमिनी ज्योतिष (Jaimini Astrology)

  • चारण दशा और अष्टक वर्ग पर आधारित।
  • "आत्मकारक ग्रह" (Soul Indicator) जीवन की प्रमुख दिशा बताता है।
  • जीवनसाथी, करियर, और भाग्य का विश्लेषण करने के लिए विशेष।

🔚 निष्कर्ष (Conclusion)

उन्नत ज्योतिष में गणितीय गणना, विभाजन कुंडलियाँ, गोचर, दशाएँ, और विशेष योगों का गहन अध्ययन आवश्यक होता है। इसे गहराई से समझने के लिए निरंतर अभ्यास, गुरु मार्गदर्शन और ज्योतिषीय ग्रंथों का अध्ययन जरूरी है।

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