वास्तु शास्त्र में 45 देवता और उनकी दिशाएँ

वास्तु शास्त्र के अनुसार, भवन और भूमि की ऊर्जाओं को संतुलित करने के लिए 45 देवताओं का वर्णन किया गया है। ये देवता भवन के विभिन्न भागों में स्थित होते हैं और उनके अनुसार निर्माण कार्य करना शुभ माना जाता है।

45 देवताओं की दिशाएँ और स्थान

ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) – 5 देवता

आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) – 5 देवता

दक्षिण दिशा – 5 देवता

नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) – 5 देवता

वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) – 5 देवता

ब्रह्मस्थान (मध्य स्थान) – 5 देवता

निष्कर्ष

इन 45 देवताओं की ऊर्जा से वास्तु का संतुलन बना रहता है। सही दिशा में सही देवता के अनुरूप कार्य करने से घर और व्यापार में समृद्धि, सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।